शब्द शब्द जैसे हो फूल शब्द शब्द जैसे हो फूल
स्पर्श हो तुम ..... उस स्नेह का जो महसूस होता है किसी अपने के कंधे पर सिर रखने से स्पर्श हो तुम ..... उस स्नेह का जो महसूस होता है किसी अपने के कंधे पर...
कोई सुबह तो आशाओं की मनहूस सी ये रात फिर ना हो। कोई सुबह तो आशाओं की मनहूस सी ये रात फिर ना हो।
रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी। रही अडिग सत्य पथ पर तो निश्चय ही स्वयंसिद्धा कहलाओगी।
समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है, समय मुट्ठी की रेत सा फिसलता जा रहा है , हर लम्हा यूँ ही गुजरता जा रहा है,
सब गुमशुदा हैं इस शहर में जिंदगी की तलाश में! सब गुमशुदा हैं इस शहर में जिंदगी की तलाश में!